क्षणिकाएं – २७
क्षणिकाएं – २7
(१)
यूंही गुजरेगा सफर एक दूजे के सहारे
कभी तुम संभालो कभी हम संभालें
लहरों के बीच कश्ती संभाले ही रखना
मिल जाएंगे जल्द हमको जो दूर हैं किनारे।।
(२)
मुझे याद आए वो गुज़रा जमाना
दिल ये चाहे फिर से लौट जाना
फिर उन्ही दोस्तों संग महफ़िल जमाना
ज़माने की तल्खियां भूल जाना।।
(३)
चाहत नहीं मुझको हिमालय सा ऊंचा उठने की
ख्वाब ये कि यारों के दिलों में गहरे उतर जाऊं
ना देना खुदा मुझ को जमाने की दौलत सारी
लबों पर मुस्कुराहट सजाऊं बस इतनी उम्मीद हमारी।।
आभार – नवीन पहल – २५.११.२०२२ 🎉👍🙏🌹
# नॉन स्टॉप -२०२२ - भाग - २८
Haaya meer
26-Nov-2022 07:18 PM
Superb
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Gunjan Kamal
25-Nov-2022 11:10 AM
👏👌🙏🏻
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